यूनिसेफ के अनुसार दुनिया भर में बच्चों के साथ व्यवहार में काफी सुधार हुआ है लेकिन बच्चों की खरीद-फरोख्त अब भी एक गंभीर समस्या है और हर साल 12 लाख बच्चों की खरीद-फरोख्त होती है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा बाल अधिकार सम्मेलन के 20 साल पूरे होने के अवसर पर प्रकाशित दुनिया के बच्चों की स्थिति के विशेष संस्करण में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति के पूर्व अध्यक्ष अवा एन डे आउडरोगो ने कहा कि दुनिया भर बच्चों के साथ व्यवहार में व्यापक सुधार हुआ है लेकिन बाल अधिकारों के मामले में अब भी कई ऎसे क्षेत्र है जिनमें बहुत कुछ किया जाना है। इनमे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बच्चों की खरीद-फरोख्त का है।
उनका कहना है कि हर साल 12 लाख बच्चों की खरीद-फरोख्त होती है। खरीद-फरोख्त करने वाले व्यक्तियों के जाल में एक बार फं सने के बाद बच्चों के साथ गंभीर रूप से दुव्र्यवहार तथा शोषण किया जाता है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उनको कानूनी सुरक्षा नहीं मिल पाती और वे अपने परिवारों से अलग-थलग हो जाते है। उनको बलपूर्वक विवाह, वेश्यावृत्ति, श्रम अथवा सशस्त्र युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) द्वारा बाल अधिकार सम्मेलन के 20 साल पूरे होने के अवसर पर प्रकाशित दुनिया के बच्चों की स्थिति के विशेष संस्करण में संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति के पूर्व अध्यक्ष अवा एन डे आउडरोगो ने कहा कि दुनिया भर बच्चों के साथ व्यवहार में व्यापक सुधार हुआ है लेकिन बाल अधिकारों के मामले में अब भी कई ऎसे क्षेत्र है जिनमें बहुत कुछ किया जाना है। इनमे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बच्चों की खरीद-फरोख्त का है।
उनका कहना है कि हर साल 12 लाख बच्चों की खरीद-फरोख्त होती है। खरीद-फरोख्त करने वाले व्यक्तियों के जाल में एक बार फं सने के बाद बच्चों के साथ गंभीर रूप से दुव्र्यवहार तथा शोषण किया जाता है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उनको कानूनी सुरक्षा नहीं मिल पाती और वे अपने परिवारों से अलग-थलग हो जाते है। उनको बलपूर्वक विवाह, वेश्यावृत्ति, श्रम अथवा सशस्त्र युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है।